Short Moral Story on Guru-shishya
श्रेष्ठ कौन ?
(गुरु-शिष्य की कहानी)
एक बार एक गुरुकुल में सभी शिष्यों को यह जानने की जिज्ञासा हुई कि
हम सब में सबसे श्रेष्ठ कौन है। सभी इस जिज्ञासा के साथ अपने गुरु(Guru) के पास पहुँचे।
गुरु ने कहा कि इसके बारे में मैं तुम्हें कल बताऊंगा।
पहले तुम सभी को मेरा एक काम करना होगा।
सभी शिष्य गुरु का कार्य करने के लिए तैयार हो गए।
गुरु(Guru) ने एक रास्ते की ओर इशारा करते हुए कहा कि –
“यह रास्ता एक सुन्दर उपवन की ओर जाता है।
उस उपवन में एक पौधा ऐसा है जिसके पुष्प केवल सूर्योदय के समय ही खिलते है।
वे सुन्दर पुष्प केवल कुछ पलों के लिए ही खिलते है।
केवल उसी वक्त उन पुष्पों को तोड़ा जा सकता है।
तुम सभी को वही पुष्प कल की पूजा हेतु लाने है।
ध्यान रहे रास्ता लम्बा है ,और वे पुष्प केवल कुछ ही पलों के लिए खिलते है।”
सभी शिष्य गुरु की आज्ञा मान उस रास्ते पर चले गए।
रास्ते में सभी एक कुटिया पर रुके।
वहां एक बूढ़ी औरत बड़ी ही कठिनाई से कुँए से पानी भर रही थी।
सभी ने वहां अपनी प्यास बुझाई और आगे निकल गए।
परन्तु उनमें से एक शिष्य से रहा नहीं गया और वहीं रुककर उस औरत से पूछा –
“माई ,आप इतना पानी क्यों भर रहीं है? यहाँ तो केवल आप ही दिखाई दे रही है।”
बूढ़ी औरत ने कहा –
“बेटा, इस रास्ते पर दूर-दूर तक कहीं पानी नहीं है।
इसीलिए में रोज यहाँ से गुजरने वाले लोगों के लिए पानी भरकर रखती हूँ ,
ताकि कोई भी यहां से प्यासा न जाए।”
उस शिष्य ने जब यह सुना तो उसने माई को आराम करने के लिए कहा।
और खुद पानी भरने लगा।
जब उसने सारा पानी भर लिया ,तब वह उपवन की और निकल गया।
परन्तु जब वह अगले दिन उस उपवन में पहुंचा ,तब तक पुष्प खिलकर बंद हो चुका था।
अब वह खाली हाथ ही गुरु के पास पहुंचा।
बाकी सभी शिष्य पुष्प के साथ गुरु(Guru) के पास पहुंचे थे।
गुरुदेव ने बड़ी प्रसन्नता के साथ उन पुष्पों से पूजा संपन्न की।
पूजा के बाद सभी शिष्यों ने फिर से वही प्रश्न किया कि –
हम सभी में सबसे श्रेष्ठ कौन है ?
गुरुदेव सभी को उसी रास्ते पर फिर से ले गए।
सभी उस बूढ़ी औरत की कुटिया में रुके।
गुरुदेव ने उस बूढ़ी औरत से पूछा –
माई ,आज आप कुँए से पानी नहीं भर रही ?
तब उस बूढ़ी औरत ने कहा –
“कल कोई भला आदमी आया और कुटिया के सारे बर्तन भरकर चला गया।
भगवान उस भले आदमी का भला करे।”
तब गुरुदेव ने एक शिष्य की तरफ इशारा करते हुए कहा –
“माई ,वो भला आदमी कहीं ये तो नहीं ?”
उस बूढ़ी औरत ने खुशी से कहा –
हाँ-हाँ ,यही है वो। और उसे ढेरों दुआएं देने लगी।
अब गुरु ने सभी शिष्यों को कहा –
यही तुम सभी में सबसे श्रेष्ठ है।
तुम सभी अपनेआप को श्रेष्ठ सिद्ध करने के चक्कर में
एक बूढ़ी औरत की सहायता करने से चूक गए।
जबकि इस शिष्य ने यह जानते हुए कि
अगर उसने सहायता की तो वह पुष्प नहीं ले पाएगा ,
इस माई की सहायता की। अतः यही सर्वश्रेष्ट हे।
Moral –जो व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से बुजुर्गो व अक्षम लोगों की मदद करता है ,
वह अपने जीवन में सदैव सफल होते है।
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