KIDS STORY
समय की कीमत
एक शहर में रोहित नाम का लड़का रहता था। वह कक्षा -6 का विद्यार्थी था।
रोहित पढ़ने में बहुत होशियार था पर कोई भी काम करने में उसे बहुत आलस
आता था। घर में या स्कूल में उसे कोई भी काम बताया जाता तो उसका एक
ही जवाब होता -“बस दो मिनट ,अभी आया।”
रोहित की इस आदत के कारण उसके मम्मी-पापा बहुत परेशान होते ,क्योंकि
रोहित कभी समय पर काम करता ही नहीं था।
एक दिन की बात है ,रोहित की मम्मी को पड़ोस में किसी काम से जाना था।
जाते समय मम्मी ने रोहित से कहा -‘बेटा गैस पर दाल रखी है ,कुछ समय में
गैस को बंद करना है ,इसलिए तुम रसोई में आ जाओ।’ रोहित ने कहा -हाँ
मम्मी अभी दो मिनट में आया।
मम्मी निश्चिन्त होकर पड़ोस में चली गई।
उधर रोहित दो मिनट के चक्कर में गैस बंद करना ही भूल गया।
जब एक घंटे बाद रोहित की मम्मी वापस आई तो उन्होंने देखा कि पूरी दाल
जल चुकि है और रोहित T.V. देखने में मस्त हो रहा है। अब तो मम्मी को बहुत
गुस्सा आया और रोहित को खूब डांट लगाई।
रात में जब रोहित के पापा घर आए तो मम्मी ने उनको पूरी बात बताई और
रोहित की लापरवाही वाली आदत पर चिन्ता जाहिर की।
रोहित के पापा ने कहा -हमें सही समय आने पर रोहित को सबक सिखाना
चाहिए अन्यथा रोहित समय की कीमत को कभी भी समझ नहीं पाएगा।
जल्द ही रोहित की मम्मी को वो मौका मिल ही गया।
आने वाले रविवार को रोहित की कक्षा को पिकनिक पर जाना था।
रोहित इस पिकनिक को लेकर बहुत ही उत्साहित था।
रविवार आने में अभी तीन दिन बाकि थे ,पर रोहित ने अभी से पिकनिक जाने
की सारी तैयारियाँ पूरी कर ली थी।
शनिवार के दिन रोहित जब स्कूल से घर आया तो उसने अपनी मम्मी से कहा-
“मम्मी कल सुबह ठीक सात बजे मेरी बस आ जाएगी। अगर मैं तैयार नहीं मिला
तो बस मुझे छोड़कर चली जाएगी। इसलिए मुझे कल जल्दी उठा देना और मेरा
टिफिन भी तैयार कर देना।”
रोहित की मम्मी ने भी हामी भर ली।
रात में रोहित जल्दी ही सोने चला गया।
सुबह 5 बजे का अलार्म बजते ही रोहित की आँख खुल गई। आँख खुलते ही उसने
मम्मी को जगाना चाहा ,तो मम्मी ने कहा -‘बस दो मिनट ,अभी उठती हूँ।’
रोहित निश्चिन्त हो ब्रश करने चला गया। जब वह ब्रश करके वापस आया तो उसने
देखा कि मम्मी तो अभी तक सो रही है। उसने फिर से कहा -मम्मी जल्दी उठो ,मैं
लेट हो जाऊँगा। मम्मी ने फिर से कहा -हाँ बेटा उठती हूँ ,बस दो मिनट।”
क्या दो मिनट ,जल्दी उठो ना। रोहित ने झल्लाते हुए कहा।
मम्मी उठी और बहुत धीरे-धीरे काम करने लग गई।
उधर रोहित जल्दी से नहाने चला गया। जब वह नहाकर वापस आया तो उसे ड्रेस
नहीं मिली। उसने मम्मी को आवाज लगाई-‘मम्मी मेरी ड्रेस नहीं मिल रही ढूंढ दो ना।’
मम्मी ने फिर से कहा -“बस दो मिनट ,अभी आई।”
मम्मी पूरे 10 मिनट बाद आई और ड्रेस ढूंढकर दे दी।
ऐसे ही छोटे-मोटे कामों में सुबह के साढ़े छः बज गए। पर अभी तक टिफ़िन तैयार
नहीं हुआ था। रोहित ने कहा -‘मम्मी क्या कर रहे हो ,जल्दी टिफ़िन तैयार करो ना ,
मेरी बस निकल जाएगी।’
मम्मी ने फिर से कहा -“बस दो मिनट ,अभी तैयार करती हूँ।”
मम्मी बहुत धीरे-धीरे नाश्ता बनाने लगी।
जब सात बजने में पांच मिनट ही बचे थे ,तब रोहित ने कहा -‘मम्मी टिफ़िन दो ,
बस आती ही होगी।’
मम्मी ने फिर से कहा -“बस दो मिनट ,अभी लाई।”
जब सात बजे बस आकर हॉर्न बजाने लगी ,तो रोहित चिल्लाकर बोला -‘मम्मी
टिफ़िन लाओ बस निकल जाएगी।’ तब मम्मी ने फिर से कहा -बस दो मिनट ,
ला रही हूँ।
बस ने दो-तीन बार हॉर्न बजाया और फिर रोहित को छोड़कर चली गई।
बस के जाने के बाद मम्मी टिफ़िन लेकर आई।
अब तो रोहित का गुस्सा फूट पड़ा। रोहित ने रोते हुए कहा –
“अब टिफ़िन का क्या करूँ बस तो चली गई।”
मम्मी ने कहा -“अरे ! मै तो बस दो मिनट में आ ही रही थी ना ,तुम्हारी बस दो
मिनट भी नहीं रुकी।”
रोहित ने रोते हुए कहा -‘कल बताया तो था ,बस किसी का इंतज़ार नहीं करेगी,
पर आप तो उठे जब से दो मिनट-दो मिनट कर करके मुझे लेट करा दिया।’
रोहित की बात सुनते ही मम्मी ने तुरन्त कहा –
“तुम भी तो हमेशा यही करते हो -बस दो मिनट। आज मैंने एक दिन ऐसा किया
तो तुम्हें गुस्सा आ गया।”
रोहित ये सुन रोना भूल गया और अपनी गलतियों के बारे में सोचने लगा। उसने
महसूस किया कि दो मिनट के चक्कर में उसने खुद का और दूसरों का कितना
समय व्यर्थ कर दिया। उसे खुद की गलती का एहसास हुआ।
रोहित ने मम्मी से माफ़ी मांगते हुए कहा -मुझे समझ आ गई है कि एक-एक
मिनट की कीमत क्या होती है। आगे से मैं हर कार्य समय पर करूँगा।”
मम्मी ने रोहित को गले लगाया और कहा –
“अब जब तुम्हें समय की कीमत समझ आ गई है तो तुम्हारा पिकनिक जाना
तो बनता है।” रोहित आश्चर्य से मम्मी की ओर देखने लगा और कहा -बस तो
चली गई।
मम्मी ने मुस्कुराते हुए रोहित के पापा को आवाज़ लगाई। पापा पहले से ही
तैयार थे इसलिए तुरन्त ही रोहित को पिकनिक वाली जगह ले गए।
रोहित ने पिकनिक पर खूब मजे किए।
शाम में जब रोहित पिकनिक से लौटा तो अपने मम्मी पापा को समय की कीमत
समझाने के लिए धन्यवाद दिया।
सीख:- हमें कभी भी समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए ,क्योंकि बीता हुआ समय
कभी भी लौटकर नहीं आता।
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