Short Stories in Hindi
Short stories in hindi में यहां 2 कहानियाँ स्वभाव व रुतबा प्रस्तुत की जा रही है।
आशा है आपको पसंद आएगी।
स्वभाव
एक बार दो बीज साथ-साथ अंकुरित हुए। समय के साथ दोनों बड़े हुए।
उनमें से एक का तना नरम तो दूसरे का तना कड़क था।
एक दिन कड़क तने वाले पौधे ने नरम तने वाले पौधे की हंसी उड़ाते हुए कहा-
“तुम कितने डरपोक हो, थोड़ी हवा चलते ही जमीन को छूने लगते हो।
मुझे देखो मैं कैसे डटकर खड़ा रहता हूँ। मुझे किसी का कोई डर नहीं।”
नरम तने वाले पौधे ने कहा
“कभी-कभी ज्यादा अकड़ना भी नुकसानदायक हो सकता है।”
पर दूसरा पौधा अपनी अकड़ के साथ खड़ा रहा।
एक दिन एक तेज तूफान आया।
नरम पौधे ने तो हवा के रुख के साथ खुद को झुका लिया ,
परन्तु कड़क मिज़ाज पौधे ने अपनी अकड़ नहीं छोड़ी।
नतीजा यह हुआ कि हवा के एक तेज झोंके ने उसे उखाड़ फेंका।
Moral –इसी प्रकार जीवन में जो व्यक्ति अपने अहंकार को नहीं त्याग पाता,
उसे एक दिन जमीन पर गिरना ही पड़ता है।
इसलिए हमें अपना स्वभाव सदैव नम्र रखना चाहिए।
रुतबा
सर्दियों का मौसम था। रजाई खूब इठला रही थी।
रजाई ने पंखे से कहा –
“देखो मेरा रुतबा ,मेरे बगैर किसी का भी काम नहीं चल सकता।
तुम्हें तो कोई पूछता भी नहीं।”
पंखे ने रजाई से कहा –
“इतना घमंड अच्छा नहीं, कब किसका वक्त बदल जाए कोई कह नहीं सकता।”
रजाई ने कहा -“तुम्हें शायद मेरा रुतबा देखकर मुझसे जलन हो रही है।
तुम्हें कोई पूछता जो नहीं।”
पंखे ने कोई उत्तर नहीं दिया और सब कुछ वक्त पर छोड़ दिया।
समय बीता और सर्दियों के मौसम ने विदाई ली।
अब वक्त था गर्मियों के मौसम का।
सभी रजाई से दूर होने लगे और पंखे के करीब आने लगे।
पंखे ने दीवान में जाती हुई रजाई से कहा –
“रुतबा अस्थाई है। कब किसका समय बदल जाए कहा नहीं जा सकता।”
रजाई शर्मिंदा थी, और चुपचाप दीवान में चली गई।
Moral –हमें कभी भी अपने रुतबे का घमंड नहीं करना चाहिए।
Short stories in hindi के अंतर्गत लिखी उपरोक्त दोनों कहानियाँ आपको कैसी लगी ?
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