STORY IN HINDI
Story in hindi के इस भाग में लिखी story में हमने उस अनदेखी व्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है ,जो जाने-अनजाने में हमारे द्वारा घर में बना दी जाती है। आशा है कि आप इस व्यंग को समझ पाएंगे।
नौकरानी कौन ?
सुजाता जरा चाय लाना। ….
सुजाता की सासूमाँ ने आवाज़ लगाई।
हाँ मम्मीजी लाई…..
सुजाता ,घर की इकलौती बहू थी।
सभी की इच्छाओं का बहुत ध्यान रखती थी।
उसके बगैर घर के सभी काम थम से जाते थे।
सभी का ध्यान रखने वाली सुजाता को खुद की सुध ही नहीं रहती।
कब बीमार हुई ,कब सही हुई ,उसे होश ही न रहता।
सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक सुजाता सभी के लिए लगी रहती।
घर के सभी सदस्यों को भी उसकी इतनी आदत हो गई कि
सुजाता बीमार भी हो तो किसी का ध्यान उसकी तरफ नहीं जाता था।
समय ऐसे ही बीत रहा था कि एक दिन अचानक ,
बाजार में सुजाता को किसी ने टक्कर मार दी।
हालांकि सुजाता बच गई पर उसके पैर में फ्रेक्चर हो गया।
डॉक्टर ने कम से कम दो महीने बेडरेस्ट के लिए कहा।
अब क्या था….
पूरा परिवार सकते में आ गया।
अब घर के काम कौन करेगा ?
एक दो दिन तो जैसे तैसे काम चलाया गया ,
पर कुछ ही दिनों में घर वालों को नौकरानी की जरुरत महसूस होने लगी।
आखिरकार मुश्किल से एक नौकरानी मिल ही गई।
नाम था कान्ता।
कान्ता सुबह जल्दी घर आ जाती।
सारे काम करके दिन में अपने घर चली जाती और शाम को वापस आ जाती।
सभी को डर रहता कहीं कान्ता काम ना छोड़ दे ,
इसलिए सभी उसका ध्यान रखते।
कान्ता को काम करते अभी सप्ताहभर ही हुआ होगा कि
घर के सभी लोग उसका गुणगान करने लगे थे।
सभी कान्ता के काम के लिए उसके आभारी थे।
आज कान्ता की पीठ में थोड़ा दर्द था।
सुबह जब वो पोंछा लगा रही थी तो
सुजाता के देवर ने उसकी बाल्टी उठाने में मदद कर दी,
सासूमाँ ने रोटी बेलने में मदद कर दी और दिन में सुजाता के ससुर ने
कान्ता को उसके घर तक छोड़ दिया।
कान्ता अपने मालिक के घर में इतना अपनापन देखकर भावुक हो गई।
उसने घर के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया।
सुजाता कान्ता के पीठ दर्द से अनजान थी।
इसलिए सुजाता समझ नहीं पाई कि कान्ता के होते हुए भी
मम्मीजी ने रोटियां क्यों बनाई।
अपनी जिज्ञासा को शान्त करने के लिए सुजाता ने अपने पति से पूछ ही लिया कि –
आज कान्ता के होते हुए भी मम्मीजी ने रसोई क्यों संभाली ?
सुजाता के पति ने कहा –
अरे ,तुम्हें पता नहीं ? कान्ता के पीठ में आज दर्द था।
बेचारी अकेली इतना काम कैसे कर पाती ?
इसलिए मम्मी ने उसकी मदद कर दी। और मम्मी ही क्या ,
हम सब ने आज कान्ता की मदद की। आख़िर वो भी इन्सान है।
सुजाता ने भी हामी भर दी ,पर
एक प्रश्न उसके दिमाग में कौंध गया –
मेरी पीठ में भी तो दर्द रहता है ?
दिन बीतते गए।
सुजाता अब धीरे धीरे सहारा लेकर चलने लगी थी।
और इधर सर्दी का मौसम जोर पकड़ने लगा था।
इन्ही दिनों एक दिन सुजाता ने देखा की
घर की रसोई व स्नानघर में गर्म पानी के नल की अलग व्यवस्था की जा रही है।
सुजाता को यह देखकर अच्छा लगा की उसके लिए घर में सुविधा की जा रही है।
तभी सुजाता की सास वहां आ गई।
सुजाता ने जैसे ही धन्यवाद देने के लिए अपना मुँह खोला ,
वैसे ही सासुमां बोली –
सर्दी बहुत पड़ने लगी है। कान्ता दिनभर ठंडे पानी में लगी रहती है।
तुम्हारे पापाजी ने कहा है कि –
कहीं कान्ता ठण्ड से बीमार ना हो जाए।
इसलिए गर्म पानी के लिए नल लगवा रहे है।
मम्मीजी की बात सुनकर सुजाता समझ नहीं पा रही है कि
आखिर नौकरानी कौन ?
कान्ता या सुजाता !
Story in hindi के इस भाग में लिखी ये story आपको कैसी लगी। Comment करके जरूर बताएं।
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“कृष्णा”