सरकारी TEACHER
आज गोलू बहुत खुश था।
उसकी जिद्द के कारण उसे आज सरकारी स्कूल में दाख़िला जो मिल गया था।
गोलू छठी कक्षा का होनहार छात्र था।
शुरु से ही teacher बनने की चाह उसे सरकारी स्कूल की तरफ खींच लाई।
वो सरकारी teacher के सभी कार्य सीखना चाहता था।
आज स्कूल में गोलू का पहला दिन था।
नए दोस्तों व अध्यापकों के बीच गोलू का दिन बहुत अच्छा निकला।
गणित के टीचर लक्ष्मण जी गोलू को बहुत अच्छे लगे।
अगले दिन गोलू की क्लास में लक्ष्मण जी नहीं आए।
गोलू अपने पसंदीदा teacher को ढूंढता हुआ कार्यालय में पहुँच गया।
वहाँ लक्ष्मण जी कम्प्यूटर पर कुछ कार्य कर रहे थे।
गोलू ने जब उनको पढ़ाने के लिए कहा तो ,
उन्होंने कहा -बेटा आज कोई जरुरी डाक भेजनी है।
आज नहीं पढ़ा पाऊंगा।
गोलू को बड़ा ही आश्चर्य हुआ ,क्योंकि गोलू के अनुसार
teacher का काम तो पढ़ाने का होता है।
गोलू वापस क्लास में चला गया।
अगले दिन फिर लक्ष्मण जी और दो अन्य अध्यापक क्लास में नहीं आए।
गोलू फिर से कार्यालय में गया।
लक्ष्मण जी ने कहा- बेटा आज पोषाहार के रजिस्टर में
गेहूँ -चावल का मिलान करना है।
आज नहीं पढ़ा पाऊंगा। गोलू को फिर से आश्चर्य हुआ।
कुछ दिन बाद गोलू के हिन्दी के अध्यापक स्कूल नहीं आए।
गोलू ने जब दूसरे teacher से इस बारे में पूछा तो पता चला कि
BLO की कोई ट्रेनिंग है ,सर उसी में गए है।
सर ये BLO ट्रेनिंग क्या होती है ? गोलू ने पूछा।
तब सर ने कहा -बेटा ये चुनाव सम्बन्धी कार्य है ,
तुम्हें अभी समझ में नहीं आएगा।
गोलू को फिर से आश्चर्य हुआ।
चुनाव का पढाई से क्या काम ?
अभी गोलू को स्कूल में एक महीना ही हुआ था।
कुछ दिन से सामाजिक के अध्यापक कक्षा में नहीं आ पा रहे थे।
जब गोलू ने उनके बारे में पूछा तो पता चला कि
सर कोई सर्वे में लगे हुए है।
सप्ताहभर तक पढ़ा नहीं पाएंगे।
गोलू के आश्चर्य की सीमा न रही।
वह सोच रहा था –
हमारे प्राइवेट स्कूल के टीचर तो केवल पढ़ाने का काम करते थे।
अभी कुछ चार पांच दिन ही हुए थे पढ़ाई सही से चलते हुए कि
स्कूल में कोई जाँच आ गई।
अधिकारी सभी कक्षाओं को जांचते हुए छठी कक्षा में पहुंचे।
यहां लक्ष्मण जी पढ़ा रहे थे।
गणित की क्लास थी इसलिए अधिकारी ने एक बच्चे से पूछ लिया –
16×16 कितने होते है ?
बच्चा स्कूल कम ही आता था। इसलिए जवाब न दे सका।
अधिकारी ने सभी बच्चों के सामने लक्ष्मण जी को डांट लगाते हुए कहा –
किस बात की तनख्वाह लेते हो तुम ?
पढ़ाते हो या स्कूल में आराम करते हो ?
बेचारे लक्ष्मण जी कुछ भी ना बोल सके।
गोलू को बड़ा ही बुरा लगा। वह सोचने लगा –
‘सर पढ़ाए कब ,जब देखो दूसरे कामों में लगे रहना पड़ता है।’
यही सब चलते -चलते सत्र बीत गया।
अब गोलू सातवीं कक्षा में आ गया था।
जल्द ही गर्मियों की छुट्टियाँ शुरु हो गई।
सभी छुटियों का आनन्द ले रहे थे ,कि
एक दिन लक्ष्मण जी सर गोलू के घर पहुँचे।
गोलू ने जब सर से छुट्टियों में आने का कारण पूछा तो ,
सर ने कहा -जनगणना कार्य में ड्यूटी लगी है ,
बस उसी कार्य के लिए आया हूँ।
अब तो गोलू के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।
बालमन teacher की परिभाषा समझ नहीं पा रहा था।
क्योंकि वह प्राइवेट स्कूल से आया था।
वहाँ टीचर होने का मतलब सिर्फ पढ़ाना होता था।
पर यहाँ………?
इसी कश्मकश में छुट्टियाँ बीत गई।
जुलाई में जब स्कूले फिर से खुली तो गोलू स्कूल नहीं आ पाया ,
क्योंकि उसकी बड़ी बहन की शादी थी।
गोलू ने शादी में खूब मज़े किए।
शादी के दिन गोलू को किसी मेहमान ने पूछा कि
बड़े होकर क्या बनना चाहते हो ?
गोलू ने कहा -इंजीनियर।
तभी गोलू की बुआ ने तपाक से कहा –
पर तुमको तो सरकारी शिक्षक बनना था न ?
गोलू ने कहा-“हाँ ,क्योंकि मैं गरीब बच्चों को पढ़ाना चाहता था।
पर सरकारी teacher को तो पढाने का टाइम ही नहीं मिलता।
हमेशा उनको कोई दूसरा काम करना पड़ता है और फिर भी
उनकी कोई इज्जत नहीं करता। मुझे नहीं बनना ऐसा टीचर। “
सारे मेहमान गोलू की ओर आश्चर्य से देखते रह गए।
“कृष्णा”
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