चमत्कारी फूल
एक समय की बात है। एक शहर में एक छोटा सा परिवार रहता था। माता-पिता और दो बच्चे टीनू व मीनू।
दोनों बच्चे बहुत ही शरारती थे। हर समय किसी न किसी को परेशान करते रहते थे। जिसके कारण उनके
माता-पिता बहुत परेशान रहते थे। कई बार उन्होंने बच्चों को समझाया पर ,बच्चे अपने माता-पिता की कोई
बात नहीं मानते थे।
एक बार पूरा परिवार नदी के किनारे पिकनिक मनाने गया। माता-पिता ने दोनों बच्चो को एक जगह की तरफ
इशारा करते हुए कहा कि-‘वहां बिल्कुल नहीं जाना है ,वो एक श्रापित जगह है।’ पर बच्चे कहां उनकी बात
मानने वाले थे। नज़रे बचाकर चल दिए उसी ओर। दोनों वहां पहुँचते उससे पहले ही उनके माता-पिता ने उन्हें
देख लिया ,और बहुत तेजी से उनकी और दौड़े। बहुत तेजी से दौड़ने के कारण दोनों खुद को रोक नहीं पाए ,
और उस जगह जाकर रुके जहां जाना मना था। वहां पहुँचते ही दोनों तुरंत बेहोश हो गए। टीनू -मीनू ये सब
देख डर गए।
टीनू -मीनू ने हिम्मत दिखाते हुए कुछ लोगों की मदद से रस्सी और लकड़ी की सहायता से अपने माता-पिता
को बाहर खींचा और अस्पताल पहुँचाया। परन्तु कोई भी डॉक्टर उनको होश में ना ला सका। अब तो दोनों
बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल था। अब दोनों बच्चे मिलकर मंदिर गए और भगवान से प्रार्थना करने लगे –
“हे भगवान अगर हमारे मम्मी-पापा सही हो गए तो हम फिर कभी भी शैतानी नहीं करेंगे और उनका कहना
भी मानेंगे। बस एक बार उनको सही कर दो।”
दोनों बच्चों की बातें वहां बैठा एक बूढ़ा आदमी सुन रहा था। उसने बच्चों से पूछा कि-क्या हुआ तुम्हारे मम्मी-
पापा को ? तब बच्चों ने पिकनिक वाली पूरी बात कह सुनाई और जोर-जोर से रोने लगे।
उस बूढ़े आदमी ने कहा कि -जो कोई भी उस जगह बेहोश हुआ है ,वो आज तक होश में नहीं आ पाया है।
बच्चों ने पूछा -क्या कोई उपाय नहीं है मम्मी-पापा को बचाने का ?
बूढ़े आदमी ने कहा -“एक उपाय है। अगर किसी तरह से उन्हें चमत्कारी फूल की सुगंध सुंघाई जाए तो उन्हें
होश आ सकता है।”
बच्चों ने तुरंत पूछा -कहां मिलेगा वो चमत्कारी फूल ? तब उस आदमी ने कहा -इतना आसान नहीं है उस
फूल को लाना। पहले एक जादुई जंगल को बिना डरे पार करना होता है। फिर आगे के रास्ते पर जो भी
चीजें मिले उनसे एक पहेली हल करनी होती है। वो हल ही चमत्कारी फूल तक पहुँचने की चाबी है। आज
तक केवल कुछ लोग ही पहेली को सुलझा पाए है। और हर बार पहेली बदल जाती है।
दोनों बच्चो ने तुरंत ही उस चमत्कारी फूल तक पहुँचने का रास्ता पूंछा।
उस बूढ़े आदमी ने कहा -जहां तुम्हारे मम्मी-पापा बेहोश हुए थे ठीक उससे उल्टी दिशा में सीधे-सीधे
चलते जाना है और जादुई जंगल पार करने के बाद जो कुछ भी रास्ते में मिले उसे इक्कठे करते जाना।
अंत में एक बहुत बड़ा पत्थर का दरवाजा आएगा। बस वहीं उन चीजों से पहेली को सुलझाकर उस
शब्द को लिखना है। बस एक बात का ध्यान रखना डरकर पीछे नहीं मुड़ना है ,वरना उस फूल तक
कभी नहीं पहुँच पाओगे।
दोनों बच्चे अपने माता-पिता को खोना नहीं चाहते थे ,इसलिए उन्होंने इस कठिन कार्य को करने का
फैसला किया।
अगले ही पल से दोनों ने जाने की तैयारी शुरू कर दी। उन्होने कुछ खाने-पीने का सामान लिया और
चल दिए चमत्कारी फूल को लाने।
टीनू-मीनू को चलते हुए अभी एक दिन ही बीता था कि उन्हें एक बहुत ही सुंदर सा जंगल दिखाई दिया।
दोनों समझ गए कि यही जादुई जंगल है। दोनों ने एक दूसरे का हाथ कसकर पकड़ा और भगवान का
नाम लेकर जंगल में चले गए।
जैसे ही वो दोनों जंगल में घुसे जंगल एकदम डरावना बन गया। चारों ओर भूतिया आवाजें आने लगी,
और जंगली जानवरों की दहाड़ सुनाई देने लगी। दोनों बच्चे बहुत ही ज्यादा डर गए।
टीनू ने मीनू से कहा -दीदी हम दोनों मारे जाएंगे ,वापस चलो। तब मीनू ने कहा -डर तो मुझे भी लग
रहा है ,लेकिन याद करो बूढ़े आदमी ने क्या कहा था -‘डरकर पीछे नहीं मुड़ना।’ इसलिए अब जो भी
हो जाए हमें पीछे नहीं मुड़ना है।
आखिर दोनों बच्चों ने हिम्मत जुटाई और उस डरावने रास्ते पर आगे बढ़ने लगे।
रास्ते में कभी उन्हें भूत दिखे तो कभी जंगली जानवर ,पर दोनों चलते रहे। क्योंकि दोनों ने पीछे मुड़कर
नहीं देखा इसलिए खुद-ब-खुद रास्ता साफ होता चला गया और दोनों ने उस डरावने जादुई जंगल को
पार कर लिया। दोनों बच्चो ने चैन की साँस ली।
अब बच्चे आगे के रास्ते पर बढ़ने लगे। कुछ ही दुरी पर उन्हें एक बैंगन पड़ा मिला। उन्हें याद आया कि
बूढ़े आदमी ने रास्ते में आने वाली हर वस्तु को इक्कठा करने के लिए कहा था। इसलिए उन्होंने बैंगन
को उठा लिया और आगे बढ़ने लगे। कुछ घंटे चलने के बाद उन्हें रास्ते में एक नीला फूल उगा हुआ दिखा।
उन्होंने उस फूल को भी ले लिया। कुछ दूर चलने पर उन्होंने देखा कि रास्ते से होकर पानी बह रहा है।
उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उस पानी का क्या करें। पानी रास्ते से होकर जा रहा था,और रास्ते वाली
सभी चीजे लेनी थी। बहुत सोचने के बाद मीनू ने एक बोतल में उस पानी को भर लिया और आगे चल दिए।
वहीं आगे रास्ते में घास उगी थी ,तो वो भी बच्चों ने ले ली।
काफी देर तक चलते रहने के बाद भी बच्चों को रस्ते में कुछ नहीं मिला। अब दोनों बच्चें बहुत थक गए थे।
उन्होंने वही रास्ते में आराम करने का फैसला किया और जल्द ही दोनों को नींद आ गई। जब दोनों की नींद
खुली तब तक सुबह हो चुकी थी। दोनों तुरंत चलने को तैयार हुए ही थे कि हवा के साथ एक पेड़ का पीला
पत्ता उन पर आ गिरा। दोनों एक दूसरे को देखने लगे की इस पत्ते को ले या नहीं ? पर उसको रास्ते में मिलने
वाली वस्तु मानकर उन्होंने उस पत्ते को उठा लिया।
दोनों फिर से उस रास्ते पर आगे बढ़ने लगे। आगे चलने पर उन्हें एक नारंगी और कुछ दुरी पर एक लाल रिबन
पड़ा मिला जिन्हें बच्चों ने उठा लिया और फिर से चलने लगे।
अचानक उनके रास्ते में एक पहाड़ आ गया। दोनों चाहकर भी आगे नहीं जा पा रहे थे।
तभी टीनू को पत्थर से बने कुछ अक्षर पड़े दिखाई दिए। उन अक्षरों को देख मीनू को याद आया की बूढ़े आदमी
ने कहा था कि -‘पहेली का शब्द ही दरवाजे की चाबी है।’ उसने टीनू को गले लगाते हुए कहा कि -हम पहेली के
दरवाजे तक पहुँच गए है।
दोनों ने तुरंत ही इक्क्ठा की हुई चीजों को निकाला और पहेली का हल खोजने लगे। बहुत देर तक दोनों दिमाग
लगाते रहे पर उन्हें कुछ भी नहीं सूझा। कुछ देर बाद मीनू ने खुद को शांत करते हुए फिर से उन वस्तुओं को देखा
और उन्हें उनके मिलने के अनुसार क्रम से जमाने लगी।
सबसे पहले बैंगन फिर नीला फूल,फिर पानी उसके बाद घास ,पीला पत्ता ,नारंगी और लाल रिबन।
जैसे ही सब क्रम से रखे गए टीनू तपाक से बोला -“अरे ये तो ऐसे दिख रहे है जैसे इंद्रधनुष के रंग हो। “
मीनू ने खुश होते हुए कहा अरे हाँ..इंद्रधनुष…इंद्रधनुष ही है इस पहेली का हल।
दोनों बच्चों ने मिलकर जैसे ही वहां पड़े अक्षरों से इंद्रधनुष लिखा ,वो पत्थर का दरवाजा अपनेआप खुल गया।
दरवाजा खुलते ही अंदर एक सुंदर सा फूल चमकता हुआ दिखा। दोनों अंदर गए और फूल को तोड़ लिया।
फूल को तोड़ते ही दोनों बच्चे अस्पताल में अपने मम्मी-पापा के पास पहुंच गए।
बच्चो ने जैसे ही उस चमत्कारी फूल को अपने मम्मी-पापा को सुंघाया ,दोनों ऐसे खड़े हो गए जैसे कुछ हुआ
ही ना हो।
उनको सही सलामत देख टीनू-मीनू उनके गले लगकर रोने लगे और कहा –
“अब हम हमेशा आप लोगो की बात मानेंगे और किसी को भी तंग नहीं करेंगे। बस आप लोग हमेशा हमारे
साथ ही रहना।”
पूरा परिवार खुशी से रो रहा था। आखिर अब वह एक अच्छा व सुखी परिवार बन चुका था।
सीख- हमेशा अपने माता-पिता का कहा मानना चाहिए और कोई मुसीबत आने पर घबराना नहीं चाहिए।
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